शुक्रवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी मरलेना उनके कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद और पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने यह दावा किया कि जब विकासपुरी के दौरे पर थे तो पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल पर हमला किया गया और यह भी आरोप लगाया गया कि यह हमला भारतीय जनता पार्टी ने कराया है इसके बाद भारतीय जनता पार्टी की तरफ से भी कुछ वक्तव्य जारी किए गए बयान आया और दिल्ली पुलिस ने भी इस तरह की किसी घटना से इंकार किया कि विकासपुरी में कोई ऐसी घटना घटी है |
भारतीय जनता पार्टी ने तो कहा कि जगह-जगह जहां भी अब अरविंद केजरीवाल जा रहे हैं या संजय सिंह जा रहे हैं या दूसरे नेता जा रहे हैं वहां दिल्ली की जो जनता इनसे परेशान है आक्रोशित है वह इनको या तो काले झंडे दिखा रही है या काले कपड़ों से इनका विरोध किया जा रहा है और केजरीवाल वापस जाओ के नारों से इनका स्वागत किया जा रहा है या इनकी अगवानी की जा रही है और इसके चलते अब यह लोग अच्छे खासे परेशान है परेशानी की वजह एक्चुअल में यह भी है कि अब विधानसभा चुनाव में अधिक समय बचा नहीं है और कुछ ऐसे संदेश और संकेत इधर इनको मिले हैं जिससे यह विचलित भी दिखाई दे रहे हैं |
परेशान भी नजर आ रहे हैं और इनकी रातों की नींद उड़ी हुई है और दिन का चैन हराम हो गया है एक तो हरियाणा में जो विधानसभा चुनाव के नतीजे आए हैं और जिस तरीके से कांग्रेस पार्टी करारी पराजय के बाद से तिल मिलाई हुई दिखाई दे रही है राहुल गांधी ने जिस तरीके से चुप्पी साध ली है उससे अरविंद केजरीवाल को यह लग रहा है कि जब हरियाणा में 10 साल सरकार रहने के बाद तीसरी बार निरंतरता में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने जा रही है तो इसका मतलब यह है कि लोकसभा चुनाव में भरतीय जनता पार्टी को जो 240 सीटें मिली थी यानी पूर्ण बहुमत अपने दम पर नहीं मिल पाया था उससे इतर हरियाणा में जो प्रदर्शन किया है यानी लोकसभा चुनाव के छ महीने के भीतर ही हरियाणा में जिस तरीके के नतीजे भारतीय जनता पार्टी के में आए हैं |
वह कम से कम इनके लिए अब परेशानी का सबब बन गए हैं इसकी वजह एक्चुअल में यह है कि हरियाणा में लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 2019 के मुकाबले पांच सीटें गवा दी थी लोकसभा की 2019 में उसने 10 सीटें जीती थी और इस बार पांच सीटें ही जीती हैं और बाकी की पांच सीटें कांग्रेस ने जीत ली हैं तो ऐसे में अरविंद केजरीवाल को लग रहा है कि उनके धुआधार प्रचार करने के बावजूद उनके विक्टिम कार्ड खेलने के बावजूद और यह कहने के बावजूद हरियाणा पहुंच कर के कि साहब मोदी जी ने मुझे जेल भेजा है तो इसका प्रतिवाद आप वोट के रूप में करिए उनको हरा कर के भारतीय जनता पार्टी को हरा कर के हरियाणा से बाहर कर दीजिए और हमें सरकार बनाने का अवसर दीजिए इनको लग रहा था कि जिस तरीके से 2022 फरवरी में पंजाब में एक करिश्मा हो गया था यानी इनकी पार्टी की सरकार बन गई थी उसी तरह का करिश्मा हरियाणा में भी हो सकता है और कुछ उसी तरह की उम्मीद लेकर के कांग्रेस पार्टी भी चुनाव मैदान में गई थी बल्कि कांग्रेस पार्टी के नेताओं की तो बड़ी लैंग्वेज ही कुछ इस तरह की हो गई थी कि बस यह मतदान यह मतगणना यह सब औपचारिकताएं हैं |
हमारी तो अब सरकार बनना तय ही है लेकिन हरियाणा के नतीजों के बाद वहां निरंतरता में तीसरी बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद कांग्रेस भी चुप्पी साथ गई है यानी कांग्रेस की भी नींद हराम हो गई है क्योंकि झारखंड और महाराष्ट्र में अब चुनाव होने वाले हैं घोषणा हो चुकी है प्रक्रिया शुरू हो चुकी है उम्मीदवार घोषित हो गए हैं मैक्सिमम उम्मीदवार घोषित हो गए हैं तो ऐसे में इनको लगता है जो एक तर्क पेश किया जा रहा है भारतीय जनता पार्टी की तरफ से भी और जो बीजेपी का एक अपना इकोसिस्टम बन गया है उसकी तरफ से भी कि चूंकि लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी बहुमत से 32 सीटें दूर र रह गई थी और एनडीए की चूंकि 293 सीटें आ गई थी तो इसलिए वह प्रधानमंत्री तो बन गए लेकिन लोगों के मन में यह जरूर एक प्रायश्चित है |
एक अपने आप से ही गिला शिकवा है कि भाई हमारी वजह से हमारे हमारी ढील की वजह से आलस्य की वजह से भारतीय जनता पार्टी को नरेंद्र मोदी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है तो यह जो गिलानी है यहजो अपने आप से ही शिकायत है और प्राय निश्चित है यह अब राज्यों के जो विधानसभा चुनाव हो रहे हैं उनमें वह अपने को करेक्ट कर रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी को वहां जिता रहे हैं तो अगर यह सिलसिला यानी हरियाणा वाला सिलसिला झारखंड और महाराष्ट्र में भी जारी रहा तो इसके तुरंत बाद जो दिल्ली में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं उसमें आम आदमी पार्टी के भी पैर उखड़ जाएंगे और यह बात इसलिए भी राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि जिस तरीके से यहां पर तरह-तरह की समस्याओं का सामना दिल्ली की जनता कर रही है और जिस तरीके से लोगों के अब रिएक्शन आने शुरू हुए हैं प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हुई हैं आक्रोश दिखाई पड़ रहा है |
वह इस बात की बानगी है कि अरविंद विंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी को इस बार लोहे के चने चबाने पड़ सकते हैं ऐसा इसलिए के अरविंद केजरीवाल साढ़े पाच महीने तक तिहाड़ जेल में बंद रहे शराब घोटाला केस में जब इनको ईडी ने गिरफ्तार किया था बाद में तिहाड़ जेल में सीबीआई ने भी गिरफ्तार किया साढ़े महीने य तिहा में रहे और इन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया तो दिल्ली की सड़कें टूट गई दिल्ली में पजल का संकट इस बीच हुआ इसके अलावा गर्मियों में त्राहि त्राहि माम देखी गई इसके अलावा भी कई तरह की समस्याओं का सामना दिल्ली के लोगों को करना पड़ा है अब पोल्यूशन की समस्या सामने आ गई है तो अरविंद केजरीवाल हो मनीष सिसोदिया हो संजय सिंह हो सौरभ भारद्वाज हो या इनके इस्तीफा देने के बाद मुख्यमंत्री बनाई गई आतिशी मार लेना हो यह सब अब दिल्ली के लोगों के बीच में जा रहे हैं उनकी नाराजगी को कम करने की कोशिश कर रहे हैं |
उनका दिल जीतने की कोशिश कर रहे हैं जो विश्वास का संकट इनके प्रति हो गया है और इनकी जो एक छवि के हम सब कुछ बदल देंगे हम तो कट्टर ईमानदार हैं जी हम तो राजनीति बदलने आए हैं हम तो दिल्ली को पेरिस और लंदन बना देंगे हम तो यमुना को साफ कर देंगे और हर साल झूठ के पोल्यूशन हम ठीक कर देंगे यह तो समस्या हमें ही ठीक करनी है वह सारी की सारी समस्या जस की तस है जहां कूड़े करकट के पहाड़ खड़े थे तीन जगह दिल्ली में उनको भी इन्होंने यह कहा था कि नगर निगम में हमारी सत्ता आने दीजिए हम तो छ महीने के भीतर इनको खत्म कर देंगे और यह बाहर चले जाएंगे या जहां भी जो भी इनको ट्रीटमेंट करना है वह कर देंगे लेकिन वह सब पहाड़ भी ऐसे के ऐसे ही खड़े हुए हैं तो जहां भी यह जा रहे हैं लोग अब केजरीवाल वापस जाओ के नारे लगा कर के इनकोकाले कपड़े दिखा रहे हैं काले झंडे दिखा रहे हैं और विकासपुरी में क्या हु क्या नहीं हुआ है |
उसके कोई विजुअल इन लोगों ने जारी नहीं किए हैं कि अरविंद केजरीवाल पर कोई हमला हुआ है या हमला करने की कोशिश की गई है लेकिन यह जो हल्ला मचाया इन लोगों ने मुख्यमंत्री आतिशी का बयान पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का सौरभ भारद्वाज का संजय सिंह तमाम लोगों के जो बयान आने शुरू हुए हैं उससे ऐसा लगता है कि यह जानबूझ करके अब इस तरह का हल्ला करेंगे और कर रहे हैं ताकि एक विक्टिम कार्ड खेला जा सके यानी जो सारे तोड़ तरीके हैं लोगों की पल्स देखने के लिए इन्होंने जो आजमाए कि साहब केजरीवाल जी अब बाहर आ गए हैं अब सब ठीक कर देंगे सड़कों के दोबारा सड़कों के बनने के चित्र और वीडियो जारी किए जा रहे हैं हैं आम आदमी पार्टी के लेकिन जगह-जगह जिस तरीके से प्रदर्शन हो रहे हैं उससे और हरियाणा में जो चुनाव नतीजे आए हैं और झारखंड और महाराष्ट्र में जिस तरह की खबरें आ रही हैं उससे अरविंद केजरीवाल की और उनके समर्थकों की नींद हराम हो गई है |
एक और खबर भारतीय जनता पार्टी के खेमे से आ रही है और अगर यह खबर सही है तो इनका दिन का चयन भी खतम होने वाला है खबर यह है कि भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व नुपुर शर्मा को दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के सामने चेहरे के तौर पर पेश करने की तैयारी कर चुका है और इसका ऐलान अगले एक सवा महीने में कभी भी हो सकता है यानी भारतीय जनता पार्टी के पास एक ऐसा त्रुक का इक्का है कि जिको वह कभी भी सामने लेकर के आ सकती है और अरविंद केजरीवाल पूरी तरीके से बैकफुट पर चले जाएंगे नपुर शर्मा की जो लोकप्रियता है नपुर शर्मा को लेकर के जो संवेदनशीलता है लोगों की और जिस तरीके से उनको भारतीय जनता पार्टी ने वह प्रकरण होने के बाद नेपथ्य में भेज दिया था एक तरीके से तो वह एक रणनीतिक स्टेप तो हो सकता है |
भारतीय जनता पार्टी का के कुछ समय के लिए क्योंकि सिर तन से जुदा का एक नारा उधर से लगा था और कुछ दूसरे देशों ने प्रतिक्रिया व्यक्त कर दी थी तो कुछ समय के लिए तो उनको नेपथ्य में भेजना एक रणनीति हो सकती है लेकिन जिस तरह की स्थितियां परिस्थितियां निर्मित हो रही हैं और लोकसभा चुनाव के एक तरीके से अपेक्षित नतीजे ना आने के बाद जो मतदाताओं में एक रियलाइफ का दौर है और खुद को करेक्ट करने का जो एक भाव दिखाई दे रहा है उसके चलते हरियाणा में जिस तरह के नतीजे आए और इन दो राज्यों में भी जिस तरह की चर्चाएं चल रही हैं उसके चलते अब जिस तरह का वातावरण अब दिल्ली में बन रहा है अरविंद केजरीवाल और उनके संगी साथियों के खिलाफ जिस तरह का आक्रोश दिखाई दे रहा है उसमें अब किसी को संदेह नहीं लग रहा है कि जनवरी फरवरी में जब विधानसभा के चुनाव होंगे तो इनके शासन का अंत हो सकता है |
ऐसे में अगर नुपुर शर्मा भी घोषित कर दी जाती है मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर तो फिर इनके लिए अपनी सरकार बचाना और वापस सत्ता में आना बेहद मुश्किल हो जाएगा तो यही वजह है कि अब विक्टिम कार्ड खेलने की कोशिश हो रही है हमला हुआ है कि नहीं हुआ है उसको जिस तरीके से इन लोगों ने एक मुद्दा बना कर के हल्ला मचाया है उससे लगता है कि यह विक्टिम कार्ड खेलने की कोशिश कर रहे हैं और इससे इनकी कमजोरी का पता चलता है अभी तो यह केवल यह कह रहे हैं कि हमला करने की कोशिश हुई है और भारतीय जनता पार्टी परेशान दिखाई दे रही है आने वाले दिनों में यह कुछ इस तरह की हरकत करवा भी सकते हैं क्योंकि अतीत में ऐसी कई घटनाएं यह ऑलरेडी करा चुके हैं संवेदना प्राप्त करने के लिए लोगों की सहानुभूति अर्जित करने के लिए और तब उनका यह जो कार्ड है यह सफल रहा था लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में में सफल रहेगा कि नहीं रहेगा यह भी जरा देखने का विषय होगा |