हर साल 16 मार्च को पूरे भारत में ‘नेशनल वैक्सीनेशन डे’ मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को टीकाकरण के प्रति जागरूक करना और इसके महत्व को समझाना है। नवजात शिशुओं से लेकर बुजुर्गों तक, हर उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण आवश्यक होता है। दशकों से, टीकाकरण ने कई गंभीर और संक्रामक बीमारियों को फैलने से रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
टीकाकरण क्यों जरूरी है?
आज के समय में, डिप्थीरिया, हेपेटाइटिस, खसरा, पोलियो, कोविड-19 जैसी बीमारियों के खिलाफ प्रभावी टीके मौजूद हैं। टीकाकरण हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाकर इन बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है। अगर हम टीकाकरण को नजरअंदाज करेंगे, तो ये बीमारियां फिर से फैल सकती हैं और गंभीर स्वास्थ्य संकट उत्पन्न कर सकती हैं। इसलिए, भारत सरकार मुफ्त टीकाकरण कार्यक्रम चलाकर देशभर में लोगों तक इसकी पहुंच सुनिश्चित कर रही है।

टीके हमारे शरीर को कैसे बचाते हैं?
टीकाकरण हमारे इम्यून सिस्टम को एक खास बीमारी के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने में मदद करता है। इसमें बीमारी के कमजोर कीटाणु (वायरस या बैक्टीरिया) शरीर में प्रवेश कराए जाते हैं, जिससे हमारा शरीर उन्हें पहचानकर उनके खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है। यदि भविष्य में वही बीमारी शरीर पर हमला करती है, तो इम्यून सिस्टम तुरंत प्रतिक्रिया देकर संक्रमण को फैलने से रोकता है।
भारत में टीकाकरण की स्थिति
यूनिसेफ के अनुसार, भारत का टीकाकरण अभियान ‘यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम’ (UIP) दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है। हर साल लगभग 2.6 करोड़ नवजात शिशुओं और 3.4 करोड़ गर्भवती महिलाओं को टीका लगाया जाता है। हालांकि, जागरूकता की कमी के कारण केवल 65% बच्चों को उनके जीवन के पहले वर्ष के दौरान पूर्ण टीकाकरण मिल पाता है।
बच्चों के लिए आवश्यक टीके
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, नवजात शिशुओं को जन्म के 24 घंटे के भीतर BCG और हेपेटाइटिस B के टीके लगवाने चाहिए। BCG का टीका टीबी से बचाव करता है, जबकि हेपेटाइटिस B से लिवर की गंभीर बीमारियों का खतरा कम होता है। इसके अलावा, बच्चों के लिए कई अन्य आवश्यक टीके हैं:
- पोलियो
- डिप्थीरिया
- काली खांसी
- टिटनेस
- खसरा
- रूबेला
- जापानी इंसेफेलाइटिस
- मैनिंजाइटिस
टीकाकरण के दौरान ध्यान देने योग्य बातें
- टीकाकरण के लिए जाते समय बच्चे को ढीले कपड़े पहनाएं ताकि टीका लगाने में आसानी हो।
- टीकाकरण के बाद हल्का बुखार, दर्द या सूजन होना सामान्य है, घबराएं नहीं।
- किसी भी टीके को छोड़ें नहीं, क्योंकि इससे गंभीर स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं।
- यदि टीकाकरण के बाद बच्चे को तेज बुखार हो, लगातार रो रहा हो या सुस्त लग रहा हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवा न दें।
गर्भवती महिलाओं के लिए आवश्यक टीके
गर्भावस्था के दौरान, मां और बच्चे दोनों की सुरक्षा के लिए कुछ टीके आवश्यक होते हैं:
- टिटनेस (TT)
- डिप्थीरिया
- इन्फ्लूएंजा
- रूबेला
- कोविड-19 (अगर आवश्यक हो)
एडल्ट्स के लिए आवश्यक टीके
बच्चों और गर्भवती महिलाओं के अलावा, वयस्कों के लिए भी कुछ टीके जरूरी हैं:
- इन्फ्लूएंजा (हर साल)
- टिटनेस, डिप्थीरिया और काली खांसी (हर 10 साल में बूस्टर डोज)
- हेपेटाइटिस A और B
- कोविड-19
- मंकीपॉक्स (जोखिम वाले क्षेत्रों में रहने वालों के लिए)
निष्कर्ष
टीकाकरण हमारे और हमारे परिवार के स्वास्थ्य की रक्षा करने का सबसे प्रभावी तरीका है। यह बीमारियों को फैलने से रोकता है और समुदाय को सुरक्षित रखता है। जागरूकता और सही समय पर टीकाकरण से हम कई गंभीर और जानलेवा बीमारियों से बच सकते हैं। इसलिए, सरकार द्वारा चलाए जा रहे मुफ्त टीकाकरण कार्यक्रमों का लाभ उठाएं और समय पर अपने बच्चों, खुद और अपने परिवार को आवश्यक टीके लगवाएं।