महाराष्ट्र में औरंगजेब के मकबरे को लेकर तनाव: एएसआई ने टिन की चादरों से ढका ढांचा

Author name

March 20, 2025

Spread the love

नागपुर/संभाजीनगर (अमर उजाला)। महाराष्ट्र में मुगल बादशाह औरंगजेब के मकबरे को हटाने की मांग को लेकर सियासी गरमाहट बढ़ गई है। इस बीच, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने संभाजीनगर जिले के खुलताबाद में स्थित उनके मकबरे को टिन की चादरों और तारों की बाड़ से ढक दिया है। यह कदम हाल के दिनों में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल के विरोध प्रदर्शनों के बाद उठाया गया है, जिसमें नागपुर में हिंसा भी भड़क चुकी है।

फिल्म ‘छावा’ ने भड़काई बहस

इस विवाद की जड़ में 17वीं सदी का इतिहास और उस पर बनी फिल्म ‘छावा’ है। फिल्म में मराठा शासक छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन को दिखाया गया है, जिन्हें औरंगजेब के आदेश पर यातनाएं देकर मार डाला गया था। फिल्म की सफलता के बाद संभाजी महाराज की विरासत को लेकर जनभावनाएं उबलीं और औरंगजेब के मकबरे को हटाने की मांग तेज हो गई।

औरंगजेब के मकबरे को लेकर तनाव

नागपुर में हिंसा, प्रशासन सख्त

सोमवार को नागपुर में विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा फैल गई। इसके बाद प्रशासन ने संभाजीनगर स्थित मकबरे की सुरक्षा बढ़ाने का फैसला किया। कलेक्टर दिलीप स्वामी और पुलिस अधीक्षक विनय कुमार राठौड़ ने मकबरे का निरीक्षण कर टिन की चादरें लगाने का आदेश दिया। बुधवार रात तक ढांचे के दोनों ओर बाड़ लगा दी गई। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “जल्द ही पूरे परिसर को गोलाकार बाड़ से घेरा जाएगा, ताकि कानून-व्यवस्था बनी रहे।”

औरंगजेब के मकबरे को लेकर तनाव

इतिहास और वर्तमान का टकराव

औरंगजेब का मकबरा सादगी भरा है, क्योंकि उन्होंने अपने लिए भव्य समाधि बनवाने से मना कर दिया था। लेकिन यह स्थल अब ऐतिहासिक विवादों के केंद्र में है। हिंदू संगठनों का कहना है कि “जिस शासक ने संभाजी महाराज जैसे वीर की निर्मम हत्या करवाई, उसकी यादगार भारत की धरती पर नहीं होनी चाहिए।” वहीं, कुछ इतिहासकार इसे ऐतिहासिक धरोहर मानते हुए संरक्षण की वकालत कर रहे हैं।

प्रशासन फिलहाल दोनों पक्षों के बीच तनाव को कम करने पर जोर दे रहा है। मकबरे को ढंकने का कदम शांति बनाए रखने की कोशिश का हिस्सा माना जा रहा है। हालांकि, यह बहस अभी थमी नहीं है। राजनीतिक दलों से लेकर सामाजिक संगठनों तक में इस मुद्दे पर चर्चा जारी है, जो इतिहास और वर्तमान के बीच की उस जटिल रेखा को उजागर करता है, जिस पर भारत अक्सर चलता है।

Leave a Comment