महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर (पूर्व में औरंगाबाद) में स्थित मुगल सम्राट औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद तेज हो गया है। बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने राज्य सरकार से इस कब्र को हटाने की मांग की है। इस विवाद के चलते प्रशासन ने इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है।
हिंदू संगठनों की मांग – कब्र हटाने की जरूरत क्यों?
विश्व हिंदू परिषद (VHP) महाराष्ट्र और गोवा के क्षेत्रीय मंत्री गोविंद शेंडे ने औरंगजेब की कब्र को गुलामी का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी महाराज को मारने से पहले 40 दिनों तक कठोर यातनाएँ दी थीं। ऐसे क्रूर शासक का स्मारक क्यों बना रहना चाहिए?
इसी मुद्दे पर बजरंग दल और VHP ने सोमवार को महाराष्ट्र के कई शहरों में प्रदर्शन किए। नागपुर में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के सामने विरोध किया गया और मुगल शासकों के पुतले जलाए गए।

टी राजा सिंह और हिंदू संगठनों का समर्थन
तेलंगाना के भाजपा विधायक टी राजा सिंह ने भी इस मांग का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि सरकार को इस कब्र पर होने वाले सरकारी खर्च का विवरण देना चाहिए और तुरंत इसे बंद करना चाहिए।
उन्होंने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को पत्र लिखकर पूछा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा इस मकबरे के रखरखाव पर कितनी राशि खर्च की जा रही है? उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि करदाताओं का पैसा ऐसे व्यक्ति की कब्र पर क्यों खर्च हो रहा है, जिसने हिंदू शासकों और संस्कृति को नुकसान पहुँचाया?
शिवसेना (उद्धव गुट) का बयान – मराठाओं के शौर्य का प्रतीक
शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के नेता संजय राउत ने इस मुद्दे पर बयान देते हुए कहा कि औरंगजेब की कब्र को मिटाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि यह कब्र मराठाओं के शौर्य का प्रतीक है और यह आने वाली पीढ़ी को बताएगा कि शिवाजी महाराज और मराठा सैनिकों ने किस प्रकार मुगलों से संघर्ष किया था।
बजरंग दल की चेतावनी – बाबरी मस्जिद जैसा हश्र होगा
बजरंग दल के नेता नितिन महाजन ने कहा कि यदि सरकार औरंगजेब की कब्र नहीं हटाती, तो हिंदू समाज आंदोलन करेगा। उन्होंने बाबरी मस्जिद का उदाहरण देते हुए कहा कि हमने अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष किया और सफल हुए। इसी प्रकार, औरंगजेब की कब्र को भी हटाया जाएगा।

प्रशासन की सख्ती – सुरक्षा के कड़े इंतजाम
बढ़ते तनाव को देखते हुए महाराष्ट्र पुलिस ने औरंगजेब की कब्र की सुरक्षा बढ़ा दी है।
- मुख्य द्वार बंद कर दिया गया है।
- मकबरे तक जाने के रास्तों पर बैरिकेडिंग की गई है।
- सीमित संख्या में ही लोगों को जाने की अनुमति दी जा रही है।
- मकबरे के बाहर पुलिस बल तैनात किया गया है।
कांग्रेस का सवाल – कब्र हटाने से क्या मिलेगा?
महाराष्ट्र कांग्रेस विधायक विजय वडेट्टीवार ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बजरंग दल और VHP को विकास के मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि औरंगजेब की कब्र हटाने से महाराष्ट्र को क्या लाभ होगा?
इतिहास – कब बनी थी औरंगजेब की कब्र?
मुगल सम्राट औरंगजेब का निधन 1707 में हुआ था। उनकी इच्छा के अनुसार उन्हें महाराष्ट्र के खुल्दाबाद में उनके आध्यात्मिक गुरु शेख जैनुद्दीन की दरगाह के पास दफनाया गया। यह स्थान छत्रपति संभाजीनगर से करीब 25 किमी दूर है।
शुरुआत में यह कब्र सिर्फ मिट्टी की थी, लेकिन बाद में ब्रिटिश वायसरॉय लॉर्ड कर्जन ने इसे संगमरमर से बनवाया। आज भी कई लोग इस स्थान पर श्रद्धांजलि देने जाते हैं।
निष्कर्ष – आगे क्या होगा?
औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद तेज होता जा रहा है। हिंदू संगठनों की मांग और सरकार के कड़े रुख के चलते यह मुद्दा राजनीतिक और धार्मिक रूप से संवेदनशील बन चुका है।
फिलहाल, प्रशासन ने कब्र की सुरक्षा बढ़ा दी है, लेकिन यह देखना होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है? क्या यह विवाद आगे बढ़ेगा या सरकार इसे शांत करने के लिए समाधान निकालेगी?