परिचय
भारत में वन्य जीव संरक्षण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। हाल ही में अनंत अंबानी के वनतारा प्रोजेक्ट को दुनिया का सबसे बड़ा वन्य जीव पुनर्वास केंद्र बताया गया है, लेकिन इसी देश में बाघों की संख्या लगातार घट रही है। क्या इसका कारण केवल प्राकृतिक आपदाएं हैं, या इसके पीछे एक संगठित तस्करी नेटवर्क काम कर रहा है? द इंडियन एक्सप्रेस की एक विशेष जांच में खुलासा हुआ है कि इस नेटवर्क ने 2022 से अब तक ‘100 से लेकर अनगिनत’ बाघों को मार दिया है।
भारत में बाघों की स्थिति
भारत में बाघों की आबादी को ट्रैक करने के लिए हर चार साल में एक सर्वेक्षण किया जाता है। 2018 के आंकड़ों के अनुसार, देश में 2967 बाघ थे, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, यह संख्या अब गिर रही है।
राज्यवार स्थिति:
- सबसे अधिक बाघ – मध्य प्रदेश (526), कर्नाटक (524), उत्तराखंड (442)
- सबसे कम बाघ – गोवा, नागालैंड, मिज़ोरम जैसे राज्यों में
बाघों की संख्या में गिरावट के कारण
प्राकृतिक कारण
- जलवायु परिवर्तन
- जंगलों की कटाई
- भोजन और पानी की कमी

मानवजनित कारण
- अवैध शिकार
- खनन और औद्योगिकीकरण
- बाघों के प्राकृतिक आवासों का अतिक्रमण
अवैध शिकार और तस्करी
अवैध शिकार भारत में बाघों के लिए सबसे बड़ा खतरा है। बाघ की हड्डियाँ, खाल, नाखून, दाँत और अन्य अंगों की चीन और अन्य देशों में भारी मांग है।
बाघ तस्करी नेटवर्क: एक विस्तृत पड़ताल
इस बार का तस्करी नेटवर्क पुराने पारंपरिक शिकारियों से अलग है। पहले जहां शिकारी छोटी बस्तियों से काम करते थे, अब यह नेटवर्क डिजिटल भुगतान, हवाला ट्रांजेक्शन और नेपाल-म्यांमार की सप्लाई लाइनों का इस्तेमाल कर रहा है।
तस्करी के नए तरीके
- डिजिटल पेमेंट और क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से लेन-देन
- वन अधिकारियों को रिश्वत देकर शिकार करवाना
- नशीले पदार्थों और हथियार तस्करों के साथ गठजोड़

भारतीय एजेंसियों की कार्रवाई और जांच के निष्कर्ष
2023 में, इंटरपोल और भारतीय एजेंसियों ने मिलकर 5 राज्यों में अभियान चलाया और दर्जनों गिरफ्तारियां कीं।
अब सवाल यह है कि क्या ये गिरफ्तारियां बाघों को बचाने में मदद कर पाएंगी?
बाघ संरक्षण में सरकार और संगठनों की भूमिका
प्रोजेक्ट टाइगर और अन्य योजनाएँ
- 1973 में शुरू हुआ प्रोजेक्ट टाइगर भारत में बाघों को बचाने की सबसे बड़ी सरकारी पहल है।
- NTCA (National Tiger Conservation Authority) बाघों की सुरक्षा को मॉनिटर करती है।
स्थानीय समुदायों की भागीदारी
बाघों के संरक्षण में आदिवासी और स्थानीय लोग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उनके लिए रोजगार के अवसर पैदा करने से बाघ शिकार को रोका जा सकता है।
वनतारा बनाम बाघ संरक्षण: विरोधाभास क्यों?
वनतारा एक निजी परियोजना है, जिसका उद्देश्य वन्य जीवों का संरक्षण और पुनर्वास है। लेकिन सवाल उठता है कि जब देश में बाघ ही सुरक्षित नहीं हैं, तो क्या इस तरह की परियोजनाएँ कारगर साबित होंगी?
निष्कर्ष
बाघों की संख्या में गिरावट भारत के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। हालाँकि सरकार और एजेंसियां कार्रवाई कर रही हैं, लेकिन तस्करों के नए तौर-तरीकों को देखते हुए हमें और अधिक सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
1. भारत में कितने बाघ बचे हैं?
2018 की गणना के अनुसार, भारत में 2967 बाघ थे, लेकिन हाल के वर्षों में यह संख्या घटी है।
2. बाघ तस्करी को कैसे रोका जा सकता है?
सख्त कानून, डिजिटल निगरानी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से बाघ तस्करी पर अंकुश लगाया जा सकता है।
3. कौन-कौन सी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां बाघ संरक्षण में मदद कर रही हैं?
इंटरपोल, WWF (World Wildlife Fund), TRAFFIC जैसी एजेंसियां बाघ संरक्षण में काम कर रही हैं।
4. वनतारा प्रोजेक्ट क्या है और इसका क्या उद्देश्य है?
वनतारा एक निजी वन्य जीव संरक्षण और पुनर्वास केंद्र है, जिसे अनंत अंबानी ने शुरू किया है।
5. आम नागरिक बाघ संरक्षण में कैसे योगदान दे सकते हैं?
बाघ संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाकर, वन्य जीवों से जुड़े अवैध उत्पाद न खरीदकर और सरकारी अभियानों में भाग लेकर।
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