रेखा गुप्ता सरकार के फैसले से केजरीवाल के संगठन में हलचल!
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दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सत्ता संभालते ही एक ऐसा निर्णय लिया है, जिससे अरविंद केजरीवाल के समर्थकों और कार्यकर्ताओं के बीच असमंजस की स्थिति बन गई है। गुप्ता सरकार के इस फैसले को राजनीतिक रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है, जिससे आम आदमी पार्टी (AAP) के कैडर को सीधा झटका लग सकता है।
क्या है रेखा गुप्ता सरकार का बड़ा फैसला?
सरकार बनने के तुरंत बाद रेखा गुप्ता ने दिल्ली प्रशासन और सरकारी योजनाओं में बड़े बदलावों की घोषणा की है। उनके फैसलों में सरकारी योजनाओं की समीक्षा, भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई, और नई प्रशासनिक नीति लागू करना शामिल है। खास बात यह है कि उन्होंने उन विभागों और योजनाओं को प्राथमिकता दी है, जिनमें AAP सरकार के दौरान अनियमितताओं के आरोप लगते रहे हैं।
इसके अलावा, दिल्ली के कई सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की तैनाती में बदलाव किए गए हैं, जिससे AAP समर्थकों के प्रभाव को कम किया जा सके। इससे केजरीवाल के करीबियों को प्रशासन में कमजोर करने की रणनीति भी सामने आई है।
कैसे टूट सकता है AAP का कैडर?
- संस्थागत पकड़ कमजोर – आम आदमी पार्टी ने कई योजनाओं और सरकारी संस्थानों के माध्यम से अपने कार्यकर्ताओं को संगठित किया था। अब रेखा गुप्ता सरकार इन योजनाओं की जांच कर रही है, जिससे AAP कार्यकर्ताओं की पकड़ ढीली हो सकती है।
- पुराने घोटालों पर कार्रवाई – सरकार ने संकेत दिया है कि केजरीवाल सरकार के समय हुए कथित भ्रष्टाचार की गहन जांच होगी, जिससे कई पुराने नेता और कार्यकर्ता पार्टी से दूर हो सकते हैं।
- नई भर्तियां और बदलाव – सरकारी तंत्र में नई नियुक्तियां और बदलाव किए जा रहे हैं, जिससे AAP समर्थित अधिकारियों का प्रभाव कम होगा और नई सरकार के प्रति वफादार लोग आगे आएंगे।
- जनता को सीधा लाभ पहुंचाने की योजना – रेखा गुप्ता सरकार आम लोगों के लिए नई योजनाओं की घोषणा कर रही है, जिससे AAP का जनाधार खिसक सकता है।
राजनीतिक हलकों में मचा हड़कंप
रेखा गुप्ता के इस फैसले से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक सोची-समझी रणनीति है, जिससे AAP के कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर सकता है।
केजरीवाल खेमा क्यों है चिंतित?
AAP नेताओं को डर है कि अगर सरकार इसी तेजी से फैसले लेती रही, तो पार्टी के कई कार्यकर्ता और समर्थक धीरे-धीरे दूसरी पार्टियों में शामिल हो सकते हैं। अगर प्रशासन में बदलाव और भ्रष्टाचार पर कार्रवाई का सिलसिला तेज हुआ, तो पार्टी की पकड़ कमजोर हो सकती है।
निष्कर्ष
रेखा गुप्ता सरकार के पहले ही बड़े फैसले से यह साफ हो गया है कि वह दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव लाने के इरादे से आई हैं। उनकी नीतियां न सिर्फ प्रशासन को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि AAP के संगठनात्मक ढांचे को भी हिला रही हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि केजरीवाल इस चुनौती का कैसे सामना करते हैं और उनकी पार्टी पर इसका क्या असर पड़ता है।