योगी सरकार के एक्शन मोड में यूपी: महाकुंभ, जुमे की नमाज और बुलडोजर राजनीति
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योगी सरकार लगातार एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं। महाकुंभ की तैयारियों से लेकर शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार ने कई अहम फैसले लिए हैं। हाल ही में, जुमे की नमाज और लाउडस्पीकर विवाद के बीच सीएम योगी ने स्पष्ट संदेश दिया कि परंपरा का पूरा सम्मान होगा, लेकिन किसी भी तरह की अराजकता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस लेख में हम योगी सरकार के ताबड़तोड़ फैसलों, उनके असर और उससे जुड़े विवादों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
महाकुंभ 2025: योगी सरकार की कड़ी निगरानी
योगी सरकार महाकुंभ के अंतिम पवित्र स्नान, महाशिवरात्रि के लिए पूरी तैयारियां कर चुकी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद 17वीं बार प्रयागराज का दौरा कर चुके हैं ताकि किसी तरह की कोई गड़बड़ी न हो। अब तक 59 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। वीकेंड और महाशिवरात्रि के कारण कुंभ क्षेत्र में भीड़ और बढ़ने की संभावना है, जिसके मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी गई है।
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प्रयागराज की ओर आने वाले प्रमुख मार्गों पर लंबा ट्रैफिक जाम देखा जा रहा है। प्रशासन ने डायवर्जन और ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए विशेष इंतजाम किए हैं ताकि श्रद्धालुओं को परेशानी न हो। गंगा के जल की शुद्धता को लेकर भी चर्चा हो रही है। मशहूर वैज्ञानिक और पद्मश्री अवॉर्डी डॉ. अजय कुमार सोनकर ने संगम के पानी को पीने योग्य बताया है। उनका दावा है कि गंगाजल में मौजूद बैक्टीरिया फेज पानी को स्वच्छ बनाए रखते हैं, जिससे श्रद्धालुओं को किसी भी संक्रमण का खतरा नहीं है।
जुमे की नमाज और लाउडस्पीकर विवाद
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती का असर यूपी के विभिन्न हिस्सों में देखने को मिल रहा है। संभल की मस्जिदों में इस बार लाउडस्पीकर की तेज आवाज सुनाई नहीं दी। कई जगहों पर मौलवी बिना लाउडस्पीकर के अजान देते नजर आए। इससे पहले, लाउडस्पीकर को लेकर धार्मिक स्थलों पर दोहरे मापदंड अपनाने के आरोप लगते थे, लेकिन अब सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि मंदिर और मस्जिद दोनों के लिए समान नियम लागू होंगे।
मेरठ में 168 साल पुरानी मस्जिद को रैपिड रेल कॉरिडोर के निर्माण के चलते हटाया गया, लेकिन खास बात यह रही कि मुस्लिम समाज के लोग खुद इसे हटाने के लिए आगे आए। प्रशासनिक अधिकारियों के समझाने के बाद बिना किसी विरोध के उन्होंने स्वेच्छा से यह निर्णय लिया, जो सरकार की कड़ी नीति और निष्पक्षता को दर्शाता है।
संभल हिंसा: चार्जशीट में बड़े खुलासे
संभल हिंसा को लेकर यूपी पुलिस ने 4000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें दाऊद इब्राहिम से जुड़े गैंगस्टर शारिक साठा का नाम सामने आया है। चार्जशीट के मुताबिक, हिंसा के आरोपियों के बैंक खातों में असामान्य तरीके से पैसे ट्रांसफर हुए थे और विदेशी हथियार बरामद किए गए हैं। खास बात यह है कि हिंसा में इस्तेमाल हुई गोलियां पाकिस्तान और अमेरिका में बनी थीं। पुलिस ने एक आरोपी मोहम्मद गुलाम को गिरफ्तार किया है, जिसके पास से विदेशी पिस्टल और गोलियां मिली हैं।
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समाजवादी पार्टी ने योगी सरकार के इन एक्शन पर सवाल उठाए हैं। शिवपाल यादव ने आरोप लगाया कि सरकार अत्याचार कर रही है और जब समाजवादी पार्टी सत्ता में आएगी तो इसका हिसाब लिया जाएगा। हालांकि, सरकार का दावा है कि वे सिर्फ कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कार्रवाई कर रहे हैं।
बुलडोजर मॉडल और उसकी राजनीति
योगी सरकार का ‘बुलडोजर मॉडल’ अब यूपी की पहचान बन चुका है। अवैध निर्माण गिराने से लेकर अपराधियों पर कार्रवाई तक, सरकार इस मॉडल को अपनाकर सख्त संदेश दे रही है। झांसी में एक अनोखा नजारा देखने को मिला, जब दुल्हन की विदाई बुलडोजर के काफिले के साथ की गई। दूल्हे के रिश्तेदारों ने कहा कि यूपी में ‘बाबा का बुलडोजर’ फेमस है, इसलिए उन्होंने शादी को यादगार बनाने के लिए ऐसा किया।
निष्कर्ष: योगी सरकार का स्पष्ट संदेश
योगी सरकार के हालिया फैसले यह दर्शाते हैं कि वे कानून-व्यवस्था और धार्मिक सौहार्द के संतुलन को बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। महाकुंभ की व्यवस्थाओं से लेकर संभल हिंसा की जांच और लाउडस्पीकर विवाद तक, सरकार हर मोर्चे पर एक्शन मोड में है। विपक्ष सरकार पर तानाशाही का आरोप लगा रहा है, लेकिन योगी आदित्यनाथ स्पष्ट कर चुके हैं कि उत्तर प्रदेश में अराजकता और अवैध गतिविधियों के लिए कोई जगह नहीं होगी।
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि योगी सरकार की ये सख्त नीतियां चुनावी समीकरणों को किस तरह प्रभावित करती हैं। क्या जनता इसे मजबूती के तौर पर देखेगी या विपक्ष के आरोपों को महत्व देगी? यह तो वक्त ही बताएगा।